हैज व निफ़ास व जनाबत का बयान | Haiz wa nifas wa janabat ka bayan in hindi

हैज व निफ़ास व जनाबत का बयान

 बालिग़ा औरत के आगे के मक़ाम से जो ख़ून आदत के तौर पर निकलता है और बीमारी और बच्चा पैदा होने की वजह से न हो उसको हैज़ कहते हैं । और जो ख़ून बीमारी की वजह से आये उसको इस्तेहाज़ा कहते हैं । और बच्चा होने के बाद जो ख़ून आता है वह निफ़ास कहलाता है ।


मसलाः - हैज़ की मुद्दत कम से कम तीन दिन और तीन रातें यानी पूरे  बहत्तर घन्टे है । जो ख़ून इस से कम मुद्दत में बन्द हो गया वह हैज़ नही बल्कि इस्तेहाज़ा है । हैज़ की मुद्दत ज़्यादा से ज़्यादा दस दिन और दस राते है । अगर दस दिन और दस रात से ज़्यादा ख़ून आया और यह हैज़ पहली मर्तबा उसे आया है तो दस दिन तक हैज़ माना जाएगा । और उसके बाद जो ख़ून आया वह इस्तेहाज़ा है । और अगर पहले उस औरत को हैज़ आ चुके हैं और उसकी आदत दस दिन से कम थी तो आदत से जितना ज़्यादा हुआ वह इस्तेहाज़ा है । मिसाल के तौर पर यूं समझों कि उसको हर महीने में पांच दिन हैज़ आने की आदत थी । अब की मर्तबा दस दिन आया । तो दसों दिन हैज़ है । और अगर बारह दिन ख़ून आया तो आदत वाले पांच दिन हैज़ के माने जायेंगे और सात दिन इस्तेहाज़ा के । और अगर एक हालत मुक़र्रर न थी , बल्कि कभी चार दिन कभी पांच दिन हैज़ आया करता था तो पिछली मर्तबा जितने दिन हैज़ के थे , वही अब भी हैज़ के दिन माने जायेंगे । और बाकी इस्तेहाज़ा माना जाएगा ।

मसलाः - कम से कम नौ बरस की उम्र से औरत को हैज़ शुरू होगा और हैज़ आने की इन्तेहाई उम्र पचपन साल है । इस उम्र वाली औरत को आइसा (हैज़ व औलाद से ना - उम्मीद होने वाली ) कहते हैं । नौ बरस की उम्र से पहले जो ख़ून आये वह हैज़ नहीं बल्कि इस्तेहाज़ा है । यूं ही पचपन बरस की उम्र के बाद जो खून आये वह भी इस्तेहाज़ा है । लेकिन अगर किसी औरत को पचपन बरस की उम्र के बाद भी ख़ालिस ख़ून बिल्कुल ऐसे ही रंग का आया । जैसा कि हैज़ के ज़माने में आया करता था तो उसको हैज़ मान लिया जाएगा ।

मसलाः - हमल वाली औरत को जो ख़ून आया वह इस्तेहाज़ा है । मसलाः - दो हैज़ों के दर्मियान कम से कम पूरे पन्द्रह दिन का फ़ासला ज़रूरी है । यूं ही निफास ख़त्म होने के दर्मियान भी पन्द्रह दिन का फ़ासला होना ज़रूरी है तो अगर निफ़ास खत्म होने के बाद पूरे पन्द्रह दिन न हुए थे कि ख़ून आ गया तो यह हैज़ नहीं बल्कि इस्तेहाज़ा है । 

मसलाः - हैज़ के छ : रंग हैं - काला , लाल , हरा , पीला , गदला , मटीला | ख़ालिस सफ़ेद रंग की रतूबत हैज़ नहीं । ( आलमगीरी जि . 1 स . 34 वगैरह ) मसलाः - निफ़ास की कम से कम कोई मुद्दत मुकर्रर नहीं है । बच्चा पैदा होने के बाद आध घन्टा भी ख़ून आया तो वह निफ़ास है । और निफ़ास की ज़्यादा से ज़्यादा मुद्दत चालीस दिन रात है । ( आलमगीरी जि . स . 35 ) 

मसला : - किसी औरत को चालीस दिन से ज़्यादा ख़ून आया , तो अगर उस औरत को पहली ही बार बच्चा पैदा हुआ है , या यह याद नहीं कि इससे पहले बच्चा पैदा होने में कितने दिन ख़ून आया था तो चालीस दिन रात निफ़ास है , बाकी इस्तेहाज़ा । और जो पहली आदत मालूम हो तो आदत के दिनों तक निफ़ास है और जो उससे ज़्यादा है वह इस्तेहाज़ा है । जैसे तीस दिन निफ़ास का ख़ून आने की आदत थी । मगर अब की मर्तबा पैंतालीस दिन ख़ून आया तो तीस दिन निफ़ास के माने जायेंगे और पन्द्रह दिन इस्तेहाज़ा के होंगे । ( आलमगीरी जि . 1 स . 35 वगैरह )

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