नमाज़ फासिद करने वाली चीजें | Namaz fasid karne wali chizay in hindi

नमाज़ फासिद करने वाली चीजें 

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नमाज़ में बोलने से नमाज़ टूट जाती है । चाहे जान बूझ कर बोले या भल कर बोले । ज्यादा बोले या एक ही बात बोले । अपनी खुशी से बोले या किसी के मजबूर करनेसे बोले । बहर सूरत नमाज टूट जाएगी । इसी तरह ज़बान से किसी को सलाम करे अमदन हो या सह्वन नमाज जाती रहेगी । यूं ही सलाम का जवाब देना भी नमाज को फ़ासिद कर देता है । किसी को छींक के जवाब में यर् - है - मुकल्लाह कहा या बुरी खबर सुनकर इन्ऩा लिल्लाहि व इऩ्ना इलैहि राजिऊन कहा तो इन सूरतों में नमाज़ टूट जाएगी । लेकिन अगर खुद नमाज़ पढ़ने वाले को छींक आई तो हुक्म है कि वह चुप रहे । लेकिन अगर अल्हम्दु लिल्लाह कह दिया तो उसकी नमाज फासिद नहीं होगी । नमाज़ पढ़ने वाले ने अपने इमाम के गैर को लुकमा दिया तो उसकी नमाज फ़ासिद हो गई । और अगर उसने लुकमा ले लिया तो उसकी भी नमाज़ जाती रहेगी । और गलत लुकमा देने से लुकमा देने वाले की नमाज़ जाती रहती है । अल्लाह अक्बर के अलिफ को खींच कर आल्लाहु अक्बर कहना या आक्बर या अक्बार कहना नमाज़ को फ़ासिद कर देता है । इसी तरह नसतईनु को अलिफ के साथ नसताईनु पढ़ने और अन्अम्---त के ' त ' को पेश या जेर यानी अन्अमतु या अन्अमते पढ़ने से भी नमाज जाती रहती है । आह , ओह , उफ , तुफ , दर्द या मुसीबत की वजह से कहे या आवाज़ के साथ रोये और कुछ हुरूफ पैदा हुए तो इन सब सूरतों में नमाज़ टूट जाएगी । मरीज़ की ज़बान से नमाज की हालत में बे इख्तियार आह , या ओह , या हाय निकल गया तो नमाज़ नहीं टूटेगी । इसी तरह छींक , खांसी , जमाही , और डकार में जितने हुरूफ मजबूरन जबान से निकल जाते हैं माफ हैं । और इन से नमाज़ नहीं टूटती । दांतों के अन्दर कोई खाने की चीज अटकी हुई थी नमाज़ पढ़ते हुए है जबान चला कर उसको निकाल लिया और निगल गया अगर वह चीज़ चने की मिकदार से कम है तो नमाज मकरूह हो गई , और अगर चने के बराबर है तो नमाज़ टूट गई और वुजू भी टूट गया । फिर से वुजू करके नये सिरे से नमाज पढ़े । औरत नमाज़ पढ़ रही थी बच्चे ने उसकी छाती चूसी अगर दूध निकल आया तो नमाज़ जाती रही । नमाज में कुरता या पाजामा पहना या तहबन्द बांधा या दोनों हाथ से कमर बन्द बांधा तो नमाज़ टूट गई । एक रुक्न में तीन बार बदन खुजलाने से नमाज टूट जाती है । तीन मर्तबा खुजलाने का यह मतलब है कि एक मर्तबा खुजलाया फिर हाथ हटा लिया फिर खुजलाया और हाथ हटा लिया । फिर खुजलाया यह तीन मर्तबा हो गया । और  एक बार हाथ रख कर चन्द मर्तबा हाथ को हिला कर खुजलाया मगर हाथ नहीं हटाया और बार बार खुजलाता रहा तो यह एक ही मर्तबा खुजाना कहा है जाएगा । ( आलमगीरी जि . 1 स . 92 वगैरह ) 

 नमाजी के आगे से गुजरना नमाज को फ़ासिद नहीं करता । ख्वाह गुजरने वाला मर्द हो या औरत | लेकिन नमाजी के आगे से गुजरने वाला सख्त गुनहगार होता है । हदीस में है कि नमाजी के आगे से गुजरने वाला अगर जानता कि उस पर क्या गुनाह है , तो वह जमीन में धंस जाने को गुजरने से बेहतर जानता । एक दूसरी हदीस में हैं कि नमाजी के आगे से गुजरने वाला अगर जानता कि इसमें कितना बड़ा गुनाह है तो चालीस साल तक खड़े रहने को गजरने से बेहतर जानता । रावी का बयान है कि मैं नहीं जानता कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने चालीस दिन कहा या चालीस महीना या चालीस बरस । ( तिर्मिजी जि . 1 स . 45 ) 

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