तयम्मुम का बयान | Tayammum ka bayaan in hindi

तयम्मुम का बयान 

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अगर किसी वजह से पानी के इस्तेमाल पर क़ुदरत न हो तो वुज़ू और ग़ुस्ल दोनों के लिए तयम्मुम कर लेना जाइज़ है । मसलन ऐसी जगह हो कि वहां चारों तरफ एक मील तक पानी का पता न हो । या पानी तो करीब ही में हो मगर दुश्मन या दरिन्दा जानवर के खौफ या किसी दूसरी वजह से पानी न ले सकता हो । या पानी के इस्तेमाल से बीमार हो जाने या बीमारी के बढ़ जाने का अन्देशा और गुमान गालिब हो तो इन सूरतों मे बजाए वुज़ु और ग़ुस्ल के तयम्मुम करके नमाज़ पढ़ले । वुज़ु और ग़ुस्ल दोनों के तयम्मुम करने का एक ही तरीका है ।

तयम्मुग का तरीकाः - तयम्मुम करने का तरीका यह है कि बिस्मिल्ला पढ़ कर पहले दिल में तयम्मुम की नीयत करें और ज़बान से यह भी कह ले  कि - फिर दोनों हाथों की उंगलियो को कुशादा करके जमीन या दीवार पर दोनों हाथों को मारे । फिर दोनों हाथो को पूरे चेहरे पर इस तरह फिराए कि जहां तक वुज़ू में चेहरा धोना फ़र्ज़ है पूरे चेहरे पर हर जगह हाथ फिर जाये । अगर बुलाक या नथ पहने हो तो उसको हटा कर उसके नीचे की खाल पर हाथ फिराए । फिर दोबारा दोनों हाथों को जमीन या दीवार पर मार कर अपने दाहिने हाथ को बायें हाथ पर और बायें हाथ अपने दाहिने हाथ पर रख कर दोनों हाथों पर कुहनियों समेत हाथ फिराये । और जहां तक वुज़ू में दोनों हाथों का धोना फ़र्ज़ है , वहां तक हाथ के हर हिस्सा पर हाथ फिर जाये । अगर हाथों में चूड़ियां या कोई ज़ेवर पहने हुए हो तो ज़ेवर को हटा कर उसके नीचे खाल पर हाथ फिराये । अगर चेहरा और दोनों हाथों पर बाल बराबर जगह पर भी हाथ नहीं फिराया तो तयम्मुम नहीं होगा । इसलिए खास तौर पर इसका ध्यान रखना चाहिए कि B चेहरा और दोनों हाथों पर हर जगह हाथ फिराए । ( दुरै मुख्तार जि . 1 स . 158 वगैरह ) 

तयम्मुम के फ़राइजः - तयम्मुम में तीन चीजें फर्ज हैं ( 1 ) तयम्मुम की नीयत ( 2 ) पूरे चेहरे पर हाथ फिराना ( 3 ) कुहनियों समेत दोनों हाथों पर हाथ फिराना । ( दुरै मुख्तार जि . 1 स . 154 )

तयम्मुम की सुन्नतें : - दस चीजें तयम्मुम में सुन्नत हैं - ( 1 ) बिस्मिल्लाह पढ़ना ( 2 ) हाथों को जमीन पर मारना ( 3 ) हाथों को जमीन पर मार कर अगर ग़ुबार ज़्यादा लग गया हो तो झाड़ना ( 4 ) जमीन पर हाथ मारकर हाथों को लौट देना ( 5 ) पहले मुंह पर हाथ फेरना ( 6 ) फिर हाथों पर हाथ फिराना ( 7 ) चेहरा और हाथों पर लगातार हाथ फिराना । ऐसा न हो कि चेहरे पर हाथ फिरा कर देर के बाद हाथों पर हाथ फिराये । ( 8 ) पहले दायें फिर बायें हाथों पर हाथ  फिराना ( 9 ) उंगलियों से दाढ़ी का खिलाल करना ( 10 ) उंगलियों का खिलाल करना । जब कि उनमें गुबार भर गया हो । ( बहारे शरीअत जि , 2 स . 67 वगैरह )

मसला : - मिट्टी , रेत , पत्थर , गेरू वगैरह हर उस चीज़ से तयम्मुम हो सकता है जो जमीन की जिन्स से हो । लोहा , पीतल , ताँबा , रांगा , कपड़ा , वगैरह लकड़ी से तयम्मुम नहीं हो सकता जो कि जमीन की जिन्स से नहीं हैं । याद रखो कि जो चीज आग से जल कर न राख होती है , न पिघलती है वह चीज जमीन की जिन्स से है । जैसे मिट्टी वगैरह । और जो चीज आग से जल कर राख हो जाये या पिघल जाये वह मिट्टी की जिन्स से नहीं । जैसे लकड़ी और सब धाते । ( आम्मए कुतुब )  मसलाः - राख से तयम्मुम जाइज़ नहीं । ( आलमगीरी )

मसलाः - गच की दीवार और पक्की ईंट से तयम्मुम जाइज है । अगरचे उन पर ग़ुबार न हो । इसी तरह मिट्टी और पत्थर वगैरह पर भी गुबार हो या न हो , बहरहाल तयम्मुम जाइज़ है । ( आम्मए कुतुब )

मसला : - मस्जिद में सोया था और नहाने की हाजत हो गई तो फौरन ही तयम्मुम करके जल्द मस्जिद से निकल जाये । 

सला : - किसी वजह से नमाज का वक्त इतना तंग हो गया कि अगर वुज़ू करेगा तो नमाज़ क़ज़ा हो जाएगी तो चाहिए कि तयम्मुम करके नमाज पढ़ले । फिर उस पर लाजिम है कि वुज़ू करके उस नमाज़ को दुहराए । ( दुरै मुख्तार व रडुल मुहतार जि . 1 स . 164 )

मसलाः - अगर पानी मौजूद हो तो कुरआन मजीद को छूने या सज्दए तिलावत के लिए तयम्मुम करना जाइज नहीं । बल्कि वुजू करना जरूरी है । ( रघुलमुहतार जि . 1 स . 164 )

मसलाः - जिस जगह से एक शख्स ने तयम्मुम किया उसी जगह से दुसरा भी तयम्मुम कर सकता है । ( बहारे शरीअत जि . 2 स . 70 )

मसला : - अवाम में जो यह मशहूर है कि मस्जिद की दीवार या जमीन से तयम्मुम नाजाइज़ या मकरूह है , यह गलत है । मस्जिद की दीवार और जमीन पर भी तयग्मुम बिला कराहत जाइज है । ( बहारे शरीअत जि . स . 70 )

मसलाः - तयम्मुम के लिए हाथ जमीन पर मारा और चेहरा और हाथों पर हाथ फिराने से पहले ही तयम्मुम टूटने का कोई सबब पाया गया तो उससे तयम्मुम नहीं कर सकता । बल्कि उसको लाजिम है कि दोबारा हाथ जमीन पर मार कर तयम्मुम करे । ( वहारे शरीअत जि . 1 स . 70 )

मसला : - जिन चीजों से वुज़ू टूटता है या गुस्ल वाजिब होता है उनसे तयम्मुम भी जाता रहेगा और उनके इलावा पानी के इस्तेमाल पर कादिर हो जाने से भी तयम्मुम टूट जाएगा । ( आम्मए कुतुबे फिकह ) 

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