नमाजे हाजत | Namaze hajat in hindi

नमाजे हाजत 

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हजरत हुजैफा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु रावी हैं कि जब हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कोई अहम मुआमला पेश आता तो आप  उसके लिए दो या चार रकअत नमाज़ पढ़ते । हदीस शरीफ में है कि पहली रकअत में सूरह फ़ातिहा और तीन बार आयतुलकुर्सी पढ़े । और बाकी तीन रकअतों में सूरह फ़ातिहा और कुल हुवल्लाह , कुल अऊजु बिरब्बिल् फलक , कुल अऊजु बि रबिऩ्नास एक एक बार पढ़े । तो यह ऐसी हैं जैसे शबे कद्र में चार रकअतें पढ़ीं । मशाइख फ़रमाते हैं कि हमने यह नमाज़ पढ़ी और हमारी हाजते पूरी हुईं । और एक हदीस में यह भी है कि जब कोई हाजत पेश आजाये तो अच्छा वुजू करके दो रकअत नमाज़ पढ़े । फिर तीन मर्तबा इस आयत को पढ़े फिर तीन बार पढ़े । फिर यह दुआ पढ़े ( तिर्मिज़ी व रद्दलमुहतार जि. 1 स. 461) इन्शाअल्लाह तआला उसकी हाजत पूरी होगी । इसी तरह हज़रत उसमान बिन हुनैफ रजियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि एक साहब जो नाबीना थे बारगाहे अकदस में हाजिर हुए और अर्ज करने लगे कि या रसूलल्लाह ! आप दुआ कीजिये कि अल्लाह तआला मुझे आफ़ियत दे । आपने इरशाद फ़रमाया कि अगर तुम चाहो तो सब्र करो और यह तुम्हारे हक में बेहतर है । उन्होंने अर्ज की कि हुजूर दुआ करदें । तो आपने उनको तो यह हुक्म दिया कि तुम खूब अच्छी तरह वुजू करो और दो रकअत नमाज़ पढ़ कर यह दुआ पढ़ो हज़रत उसमान बिन हुनैफ़ रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान है कि खुदा की कसम हम उठने भी न पाए थे । अभी बातें ही कर रहे थे कि वह नाबीना हमारे पास । अंखियारे होकर इस शान से आये कि गोया कभी अन्धे ही नहीं थे । ( तिर्मिजी जि .2 स . 197 व मुसनद इब्ने हम्बल जि . 4 स . 138 व मुस्तदरिक जि . 1 स . 526 ) 


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