नमाजे इस्तेख़ारा | Namaze Istikhara in hindi

नमाजे इस्तेख़ारा 

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हदीसों में आया है कि जब कोई शख्स किसी काम का इरादा करे तो दो रकअत नमाज़ नफ्ल पढ़े जिस की पहली रकअत में अल्हम्द के बाद कुल या अय्युहल् काफिरून दूसरी रकअत में अल्हम्द के बाद कुल हुवल्लाह पढ़े । फिर यह दुआ पढ़ कर बावजू किबला की तरफ मुंह करके सो रहे । दुआ के पहले और आखिर में सूरह फातिहा और दुरूद शरीफ भी पढ़े । दुआ यह है दोनों जगह अल्अम् - र की जगह अपनी जरूरत का नाम ले । जैसे पहली जगह और दूसरी जगह ( तिर्मिजी जि . 1 स . 63 व कुतुबे फिकह ) मसलाः - बेहतर यह है कि कम से कम सात मर्तबा इस्तेखारा करे । और फिर देखे जिस बात पर दिल जमे उसी में भलाई है । बाज बुजुर्गों ने फ़रमाया है कि इस्तेखारा करने में अगर ख्वाब के अन्दर सफेदी या हरियाली देखे तो अच्छा है और अगर काला और लाल देखे तो बुरा है । ( रद्दलमुहतार जि . 1 स . 461 ) 

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